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Future Technology Needs for India - 2047 | Article on Azaadi ka Amrit Mahotsav in Hindi

 Azaadi ka Amrit Mahotsav

" The only way you survive is you continuously transform into something else " : Ginny Rometty

Written by Anuj Singh Tomar , 8th sem , EE

' परिवर्त्तन ' मृत्यु से भी बड़ा सत्य है ।  दो लाख से अधिक वर्षों के मानव इतिहास ने हर सदी में परिवर्तन के सत्य को जाना है । हर बदलाव का लक्ष्य मानव जीवन को सुगमता प्रदान करना होता है । पहले सिंचाई के लिए नहर व बरसात पर निर्भर रहने वाला किसान आज नई नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर खेतों की सिंचाई करता है । अपने पड़ोस की मंडी में कौड़ियों के भाव में फसल बेचने को विवश किसान आज भारत के किसी भी हिस्से में अपनी फसल को उचित दाम पर बेच सकता है । ऐसे ही सैकड़ों जीवंत उदाहरण टेक्नोलॉजी की जरूरत  को महिमामंडित करते हैं।

आजाद भारत की जरूरत रोटी , कपड़ा और मकान थी पर आधुनिक भारत की जरूरत शिक्षा , रोजगार व स्वास्थ्य है  । आधुनिक भारत के सपने को साकार करने के लिए हर व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक है । शिक्षा रोजगार का स्त्रोत है , शिक्षा इनोवेशन का स्त्रोत है , शिक्षा दीनता - हीनता को खत्म करने का रामबाण है । आधुनिक भारत को श्रेष्ठता प्रदान करने के लिए हर व्यक्ति का स्वस्थ होना भी उतना ही आवश्यक है जितना फलदाई पेड़ को मजबूत जड़ों की आवश्यकता होती है ।


शिक्षित , स्वस्थ व रोजगार युक्त आधुनिक भारत 2047 तक आदर्श राष्ट्र की व्याख्या करेगा ।  2047 का भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में पूरी दुनिया की अगुवाई करेगा । 2047 के भारत में हर व्यक्ति के पास एक पक्का मकान होगा जिसके नलों में 24 घंटे पानी आता होगा , घर के बल्बों की रोशनी दिन प्रतिदिन दिवाली का एहसास कराती होगी , खाने को भोजन , पहनने को कपड़ा , कमाने को रोजगार , चलने को साफ सड़कें, पढ़ने को विद्यालय , खेलने को मैदान पर सबसे महत्वपूर्ण जीवन को संतुष्टि प्रदान करता शांतिप्रिय समाज  होगा ।


आदर्श राष्ट्र का सपना बिना टेक्नोलॉजी के मुमकिन नहीं है  । बिजली के उत्पादन के लिए हमें क्लीन एनर्जी की ओर अग्रसर होना होगा । घर व होटलों में चाय बनने के बाद चाय पत्ती को फेंकने की बजाय " Low Cost Adsorbent " के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जो वाटर प्यूरीफायर का काम करेगा । हमें जैविक खेती को भी बढ़ावा देना होगा जो स्वस्थ भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगी ।भारत के महानगरीय शहरों को आईटी हब के रूप में बदलना होगा जो प्रौद्योगिकी को हिंदुस्तान के जन जन तक पहुंचाएंगी । प्रौद्योगिकी की मदद से भारत के हर जिले तक नदी के पानी को पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए । नदियों का जीर्णोद्धार पशु , पक्षी व मानव सभी के लिए अति आवश्यक है ।


आधुनिक भारत की जरूरत शिक्षा , स्वास्थ्य व रोजगार है पर इसका लक्ष्य एग्रीकल्चर , मैन्युफैक्चरिंग , आईटी व अंतरिक्ष के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी की मदद से विश्व गुरु बनने का होना चाहिए ।



एग्रीकल्चर सेक्टर हिंदुस्तान के विकास का पहला पहिया है  जिसमें प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है । सरकार ने e-mandi की शुरुआत कर काफी सराहनीय कार्य किया है । अब सरकार का ध्यान एक व्यवस्थित कृषि व्यवस्था पर होना चाहिए । सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि चाहे एक बीघा वाला किसान हो या 100 बीघा वाला किसान हर किसी के पास सोयल हेल्थ कार्ड अति आवश्यक रूप से हो । किसान को पारंपरिक खेती से हटकर वही फसलें उगानी चाहिए जिसकी उपज उसकी मिट्टी पर सर्वाधिक हो । टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल एग्रीकल्चर सेक्टर को  नई रफ्तार प्रदान कर सकता है ।


मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सबसे  अधिक सुरक्षित रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है । जीवन में उपयोग होने वाली लगभग हर वस्तु निर्मित होती है , प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल इसकी उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ा सकता है । हम सभी जानते हैं बच्चे जन्म के बाद जिसे सबसे अधिक चाहते हैं  वह उनके खिलौने होते हैं पर भारत में टॉय इंडस्ट्री की हालत बहुत खराब है । 2047 तक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हम एक विशालकाय टॉय इंडस्ट्री का निर्माण कर सकते हैं । 


बीमारी जीवन का कड़वा सत्य है  हम इसे झुठला नहीं सकते हैं पर मेडिकल में इस्तेमाल होने वाले सभी मेडिकल इंस्ट्रूमेंट का प्रौद्योगिकी की मदद से भारत में उत्पादन  कर हम इलाज की कीमत को कई गुना तक कम कर सकते हैं । इसी प्रकार आईटी सेक्टर व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी हिंदुस्तान में विकसित करने पर ध्यान देना होगा ।


लोग कहते हैं अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा पर  यकीन मानिए वो युद्ध अंतरिक्ष में लड़ा जाएगा ।  प्राचीन काल में हम कुछ गांव तक सीमित थे फिर कुछ राज्यों तक पहुंचे उसके बाद कुछ देशों की भी खोज हुई और आज जब पूरे विश्व को जान लिया है तो मानव अंतरिक्ष को जानने की चाहत में है । 

2047 तक हम चांद पर पानी और मंगल पर जीवन के प्रश्न का उत्तर ढूंढ चुके होंगे । यह भी मुमकिन है कि अंतरिक्ष में  मानव उपनिवेश बसना चालू हो गए होंगे और शायद दो महाशक्तियां चांद पर अपनी दावेदारी के लिए लड़ रही होंगी। अगर सच में पृथ्वी की हवा रहने लायक नहीं बचेगी तो विश्वास मानिए कुछ शहरों पर एक अदृश्य परत बिछाकर कृत्रिम एटमॉस्फेयर का निर्माण करना पड़ेगा  जिसमें घर बनवाना हर किसी की पहुंच में नहीं होगा । यही हाल अंतरिक्ष में बसने वाली कॉलोनी का भी हो सकता है । कुछ लोग अपना एकाधिकार व वर्चस्व बनाने का प्रयास करेंगे । मानवता की रक्षा व इस प्रकार की अव्यवस्था से रहित होने के लिए भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में सबसे अधिक सफलता हासिल करनी होगी । जिसके लिए हमें स्पेस टेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान देना होगा।


प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल एक सशक्त व समृद्ध भारत का निर्माण करेगा क्यूँकि 2047 में भारत को टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी और दुनिया को भारत की ।


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